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मंत्रपूरित मंगलसूत्र-लाल सिंदूर..

मंत्रपूरित मंगलसूत्र, लाल सिंदूर, हल्दकुण्ड
जय हो जय हो भारत माता की जय हो !
मंत्रपूरित मंगलसूत्र शत्रुओं के फांसी के फंदे बन गए
लाल सिंदूर की शक्ति देखो, दुश्मनों के शिविर ध्वस्त हो गए

महिलाओं के गले के हल्दी-धागे में बंधा हल्दकुण्ड
हल्दकुण्ड, ब्रह्मास्त्र बन गए, मिसाइ‌ल बन गए ।

साथी हाथ बढ़ाना कहते हुए भारत सेना आगे-आगे
हम सब सेना के पीछे हैं, घोषणा करते हुए देशवासी सेना के पीछे पीछे –
शांतिकामुक भारत के लिए अब युद्ध अनिवार्य हु‌‌आ
भारत माता की चूड़ि‌‌याँ खनकीं, दुश्मनों के भवन मटियामेट हो गए

माता के माथे की बिंदी चमकी, तलवारें टकरा गई
माता से सेना को दी गई आरती, उन्हें ताकत दी, कुव्वत दी, शक्ति दी
आर्मी के ब्रिगेडियर, लान्सनायक, कर्नल, जवान शौर्यशिरोमणि बन गए
पुण्य जीता, पाप हारा, न्याय को बसंतबहार मिला अन्याय को आंधी-तू‌फान

आपरेशन सिंदूर श्रीरस्तु, अविघ्नमस्तु, शुभमस्तु
आर्मी की आराधिका, दूसरी झांसी रानी लक्ष्मीबाई कर्नल सोफिया कुरैशी
भारतवासी आशीर्वाद दे रहे हैं, दुवाएँ आपको सुख-शांति देंगी।
सेना का सिरमौर व्योमिका सिंह, आकाश पुत्री तुझे सलाम

जय जय सोफिया कुरैशी, जयति-जयति व्योमिका !
वीर‌गति प्राप्त जवान, सेना के प्रमुख प्रणाम !
सिंदूर के सैनिक, भारत की मिट्टी की सौंधी गंध
पतियों को खोई हुई महिलाओं के अश्रु अब अग्नि कण बन गए

जयशंकर प्रसाद जी के कामायनी महाकाव्य दृश्यमान हो रहा है
श्रद्धा [मन) मनु [मानव] इडा (बुद्धि) आँखे खुलवाते हैं।
मानव मन को छोड़कर कुटिल बुद्धि का दास बनता है
ऐसे ही महा युद्ध होंगे, विश्व का विनाश तथ्य है।

दिनकर जी के कुरुक्षेत्र काव्य को याद करेंगे
निरालाजी की गीतिका वरदेवीणावादिनी के सामने सर झुकाएंगे
शर्माजी का अमरगीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ यत्रतत्र सर्वत्र गूँज उठा
लताजी के स्वर में जरा याद करो कुरबानी’ जन-जन का श्वास बना

हमारे शिविर में महा पंडित चाणक्य, शिवाजी, राणा, आल्हा-ऊदल
अल्लुरि सीतारामराजु, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, बड़े बड़े वीर हैं
शत्रु के शिविर में कुटिल राजनीति, दुष्ट भ्रष्ट राक्षस हैं
हमारे शिविर – शत्रू के शिविर, एक धर्म का प्रतीक, दूसरा अधर्म राक्षस कृत्यों का

हमारे ब्रह्मोस के शिव तांडव को विश्वने देखा
हमारे शिवजी ने तीसरी आँख खोली- शत्रु भस्म हो गये
हमारी रणचण्डी का उग्र रूप देखो, तुम्हारा सबकुछ ध्वस्त
नृसिंह ने फिर अवतार लिया, नखों से शत्रु का पेट चीर दिया

हमारे भारत के धीरोदात्त-धीर ललित महानायक
आपरेशन सिंदूर के जन्मदाता श्री नरेन्द्र मोदी जी
विश्व के माथे की बिंदिया भारत के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंहजी
मोर पंख जैसा पवित्र, एवर ग्रीन हमारी आर्मी आयुष्मानभव

सीता का अपमान हुआ, लंका का दहन हुआ, रावण का अंत हुआ
द्रौपदी का वस्त्र हरण हुआ कुरुक्षेत्र युद्ध हु‌आ, दुष्ट कौरवों का अंत हुआ
भारत हमेशा धर्मयुद्ध करेगा, शत्रुओं को मिट्टी में मिलायेगा
आपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पूरा हुआ सिंदूर फूलो-फलो

जान को जोखिम में डालकर, घुप अंधेरे में, खतरनाक जगहों में
जाकर रिपोर्ट देनेवाले सारे टी.वी रिपोर्टर के सामने हम नत मस्तक है
तब से आज तक अखबारों में युद्ध समाचार देनेवाले संवाददाताओं को सलाम

विश्ववसंत भारत, पुण्यराशि भारत माता की गोद, जय हो जय हो
युद्ध समाप्त हो जायेगा, शत्रु सबक सीखेंगे
टेरर फॅक्टरीज जमीनदोस हो जायेंगे

एक युद्ध के बाद सर्वत्र शांति-अमन
घुमड घुमडकर आयेंगी आनंद की घटाएँ आकाश में

भारत के वीर जवान प्रतीक्षा करो घर-गाँव से चिट्टी आयेगी,
घर वापस जाओगे, पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा, फूल चमन गाँव की पगडंडी
आल्हा उदल, मंदिर, देवी-देवता, पंछी-पतंग, गगन, मिट्टी
मिट्टी के कण-कण आदि फौजी की आरति उतारेगा

युद्ध समाप्त हो जायेगा, पद्‌म भूषण गीतवसंत महाकवि नीरज की
गीत पंक्तियाँ याद करेंगे, बार-बार सौ बार, हजार बार….
अब युद्ध नहीं होगा
मैं सोच रहा हूँ अगर तीसरा युद्ध छिड़ा
इस नई सुबह की नई फसल का क्या होगा?
मैं सोच रहा हूँ गर जमीन पर उगा खून
मासूम हलों की चहल-पहल का क्या होगा?
अब युद्ध नहीं होगा- अब युद्ध यह नहीं होगा ।

“आपरेशन सिंदूर में वीरगति प्राप्त महान सैनिकों को समर्पित

डॉ. टी. सी. वसंता

 

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